Friday, February 21, 2014

#AAPDrama 2


           अरविन्द केजरीवाल बार बार मोदी पर हमला करके क्या साबित करना चाहते हैं।   क्या वो खुद को मोदी के साथ प्रंधानमंत्री पद कि रणभूमि में देखना  चाहते  हैं ? यह रणभूमि में उतरने का और  आड़े हाथों  टक्कर देने  का काम तो वो अपनी प्रशाशनिक शैली का प्रदर्शन कर भी तो दे सकते थे ?  लेकिन जब उनसे उस भांति न हो पाया तो ये दूसरा हथकंडा अपना रहे हैं। 

          तीन सवाल पूछे उन्होंने मोदी जी से ,  पर सवाल पूछने के पीछे उनकी मानसिकता क्या थी ? आशय क्या था ? क्या वो एक निष्पक्ष  नागरिक के नाते देश के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार से सवाल पूछ  रहे ? या फिर एक राजनितिक पार्टी के  अराजक नेता के तौर पर जिसके कम समय में ही बड़े बड़े अरमान है।  खैर मोदी जी जवाब  दे न ना  दे  जनता तो जरूर जवाब देगी ,उनके संवाददाता के तौर पे । 

      
             पहला सवाल था , गैस के मल्यों को लेकर।  क्या केजरीवाल जी ये नही पता है कि गैस के मूल्य के  मामले में सीपीआई  नेता गुरुचरण दस गुप्ता उच्चतम न्यालय में केस कर चुके हैं।  जिनकी कुछ  दिनों में सुनवाई होने वाली है।  क्या उनका विधायिका के साथ साथ न्यायपालिका से भी विश्वास उठ चुका  है ? अगर वो गैस के मूल्यों को लेकर सचमुच ही उत्सुक होते तो कोर्ट के सुनवाई का इंतजार करते।  उन्होंने जैसे सवाल  पुछा है क्या वो बस लोकवादी राजनीती नहीं है ? क्या वो मसलो को सलझाने के बजाए राजनितिक रोटी नहीं सेक रहे।  खैर हम तो समझ जायेंगे पर उनलोगो का क्या होगा जो एक बार जो बात मन ली उसी पे अडिग रहते हैं , इसी कारण से तो कांग्रेस 60 साल से लूटती आ रही है देश को ।  वही ढीठ मानसिकता के कारण।  रहा  मूल्यों का सवाल तो मोदी कोई नही होते इसे फिक्स करने वाले । ये तो देश कि आर्थिक गतिविधि से नियंत्रित होगी , अभी कि सरकार  गलत कर रही है , लोग कोर्ट गए, सुनवाई अभी आनी बाकी है।  मोदी जी गलत तो नहीं करेंगे फिर भी अगर किये तो आप कोर्ट जाने के लिए स्वतंत्र है।  

         दूसरा सवाल था मोदी का अम्बानी के सम्बन्ध का तो वह ऐसा ही सम्बन्ध है जैसा कि आपका होगा या किसी भी राजनितिक पार्टी का होगा होगा अम्बानी के साथ। अगर अम्बानी एक गर्वित और सफल बिजनेसमैन हैं तो "सत्य " के साथ उनसे सम्बन्ध बनाना हर कोई चाहेगा। 


          तीसरा सवाल था पैसो का तो ये पता होनी चाहिए कि रैली विशाल होती है लोगो के आने से , भाग लेने से, न कि पैसो से।  मोदी कि रैली कोई फाइव स्टार तरीको से नही होती।  जितने पैसे कांग्रेस या आप लगते हैं बैनर , प्रचार या पंडाल में उतनी ही बीजेपी भी लगाती। बीजेपी कि रैलियो में मखमली कालीन नही बिछा होता। और रही बात पैसो कि तो चुनाव आयोग है नियंत्रण के लिये।  आपको गलत लगता है तो वह शिकायत कीजिये।  और भगवन के लिए ये मत बोल दीजियेगा कीं " ये भी तो इनकी जेब में है जी " . 

 खैर आप भी ये बता ही दीजिये कि आपको अमिरीकी कंपनी फोर्ड क्यों फण्ड करती है ?


         और रही बात खत  के द्वारा सवाल  जवाब की, तो आप ये बताएंगे कि कुछ दिन पहले अन्ना जी ने जो आपको ख़त लिखा था , 17  मुद्दो पे आपके मत के लिए तो आपने जवाब क्यों  नही दिये ? अन्ना जी तो आपके अपने  है न ?  गौरतलब है कि केवल ममता बनर्जी ही उनके ख़त का जवाब दी। 





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